आज रविरतलामीजी के चिट्ठे रचनाकार में असग़र वजाहत का यात्रा संस्मरण पढ़ रहा था। अचानक चिट्ठे के दाईं ओर गूगल के विज्ञापन कर गई उसमें हिन्दू-इंग्लिश डिक्शनरी विज्ञापन था।
मैंने इस लिंक को क्लिक करके देखा यहाँ पर पहुँचा। लिंक यह है।
उस साइट पर ‘ए डिक्शनरी ऑफ़ उर्दू क्लासिकल हिन्दू एंड इंग्लिश, डीलक्स 2006 एडिशन’ से मुलाकात हुई। इसी की दाईं ओर ‘हिन्दू शर्ट’ भी है। इन लिंक्स पर जाने पर पता नहीं लगा कि इस डिक्शनरी में क्लासिकल हिन्दू क्या है और ये शर्ट हिन्दू क्यों है। यहाँ शायद हिन्दी को ग़लती से हिन्दू लिख दिया गया है। ये शर्ट आम शर्ट हैं और ईबे द्वारा ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं। इन पर कोई भी हिन्दू प्रतीक नहीं हैं।
अब इसे देख कर कोई ‘होहल्ला’ न मचाने लगे कि शर्ट पर भी हिन्दुओं का एकाधिकार हो गया है और हमें कुछ नहीं मिला। अल्पसंख्यकों के लिए इतने शर्ट अलग निकाल कर रख दिए जाएँ।
भैया हम का करें ई तो गूगलवा की ग़लत वर्तनी का कमाल है।
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ये सब कंफ़्यूज़न है मेरे लिए – इसी लिए गूगल के विज्ञापनों को मैं नहीं छेडता।
अच्छा कटाक्ष है!
Bhaiya ye google adsense hai. aapne us par click kar ke kisi ko chahe anchahe kuch $$$ de diye. Check Google adsense on wikipedia.
इसीलिये तो कहते हैं कि पड़ोसी के घर मै मत झाको व फ़टे में टाँग मत डालो ।
“…इसी लिए गूगल के विज्ञापनों को मैं नहीं छेडता।…”
ऐसा मत किया कीजिए शुएब जी, हमारे जैसे व्यावसायिक चिट्ठाकार गूगल एडसेंस की संभावनाओं की बदौलत ही तो जिंदा हैं – नहीं तो हिन्दी ब्लॉग जगत में कब के दफन हो चुके होते… 🙂